"अगर रिश्ते सच्चे हो तो ज्यादा सँभालने नहीं पड़ते ,
और जिन रिश्तों को ज्यादा संभालना पड़े वह सच्चे नहीं होते..."
8/25/2011
8/18/2011
कवि दुष्यंत कुमार
पीर हो गयी अब पर्वत सी,
अब हिमालय से एक गंगा निकलनी चाहिये।
मेरे सीने में ना सही तेरे सीने में ही सही ,
हो कहीं भी आग, मगर आग जलनी चाहिये
-कवि दुष्यंत कुमार
अब हिमालय से एक गंगा निकलनी चाहिये।
मेरे सीने में ना सही तेरे सीने में ही सही ,
हो कहीं भी आग, मगर आग जलनी चाहिये
-कवि दुष्यंत कुमार
8/02/2011
At le’ NIBLETTE Cafe , Mumbai
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