My Views
12/04/2010
"बन जाऊं मैं बरगद और ,
बैठकर छावं में जिसकी ,
कर सको दूर तुम अपनी थकान । "
घुमावदार रास्ते और संकरे मोड़ों के गुज़र जाने के बाद ,
दिखाई देने लगती है बड़ी-बड़ी और खुली राहें ...
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment