बहुत बिडम्बना से भरा है हमारा समाज... आज भगवान को भी कहाँ छोड़ते है लोग.... ढोंग रचाते है .. न जाने क्या क्या नहीं बोल देते है... न जाने क्या क्या नहीं कर देते .....
बहुत बिडम्बना से भरा है हमारा समाज... आज भगवान को भी कहाँ छोड़ते है लोग.... ढोंग रचाते है .. न जाने क्या क्या नहीं बोल देते है... न जाने क्या क्या नहीं कर देते .....
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