मैंने माना , आज "रिश्ते" बहुत बदल गये हैं।
मगर , कहीं ना कहीं आज भी "रिश्ते" अपनेपन का अहसास लिये हैं ।
कुछ "रिश्ते" बहुत "ख़ास" होते हैं... रजनीगंधा के फूलों की खुशबू की तरह महकते हैं।
भले ही यह "रिश्ते" गुमनाम हैं मगर इन महकते हुये "रिश्तों" की कहानी कुछ अलग है।
जो इस अहसास को महसूस करता है बस वही इन "रिश्तों" की अहमियत जानता है।
मगर , कहीं ना कहीं आज भी "रिश्ते" अपनेपन का अहसास लिये हैं ।
कुछ "रिश्ते" बहुत "ख़ास" होते हैं... रजनीगंधा के फूलों की खुशबू की तरह महकते हैं।
भले ही यह "रिश्ते" गुमनाम हैं मगर इन महकते हुये "रिश्तों" की कहानी कुछ अलग है।
जो इस अहसास को महसूस करता है बस वही इन "रिश्तों" की अहमियत जानता है।
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