10/25/2011

""दीपावली" की हार्दिक शुभकामनाएँ..."

"दीपावली" की हार्दिक शुभकामनाएँ,
आशाओं के नये दीप जलायें ।
साकार हो सारी संकल्पनाएँ,
जीवन को सार्थक करके दिखलायें।
एक-दूसरे के प्रति जाग्रत हो संवेदनायें,
सुख-दुःख बाटें, मानवता का सच्चा धर्म निभायें ।
"दीपावली" की हार्दिक शुभकामनाएँ ।

10/22/2011

"बहुत मुश्किल होता है..."

"घर से दूर, हिचकियों का यूँ बार-बार आना ।
बहुत मुश्किल होता है आखों को समझाना । "
(शलभ "राज")

10/12/2011

सफल - असफल

जब हम जीवन में सफल होते हैं तब अपनों को पता चलता है कि हम कौन हैं ? मगर जब हम जीवन में असफल होते हैं तब हमें पता चलता है कि "अपना" कौन है ?

10/08/2011

"घर" और "मकान"

बहुत खुशनसीब होते हैं वो लोग जो "घर" रहते हैं।
ना जाने कैसे जीते हैं वो लोग जो "मकानों" में रहते हैं। (शलभ "राज")

10/01/2011

le’ NIBLETTE Café, Mumbai






Yesterday evening, I recited my poems at le’ NIBLETTE Café, Mumbai (This program was organized by Pritha Theatre Group). On Dt. 27th Sept, I narrated my poems at “Prithvi Café c/o Prithvi Theatre” also.

9/06/2011

बारिशें ....

"भीगने की जब हमें आदत हो गयी,
चार दिन बरस कर बारिशें थम गयी ।
शलभ गुप्ता "राज"

8/25/2011

"रिश्ते..."

"अगर रिश्ते सच्चे हो तो ज्यादा सँभालने नहीं पड़ते ,
और जिन रिश्तों को ज्यादा संभालना पड़े वह सच्चे नहीं होते..."

8/18/2011

कवि दुष्यंत कुमार

पीर हो गयी अब पर्वत सी,
अब हिमालय से एक गंगा निकलनी चाहिये।
मेरे सीने में ना सही तेरे सीने में ही सही ,
हो कहीं भी आग, मगर आग जलनी चाहिये
-कवि दुष्यंत कुमार

8/02/2011

At le’ NIBLETTE Cafe , Mumbai



I recited my poems in a program at le’ NIBLETTE Cafe on dt. 29th July 2011
( This program was organised by “Pritha Theatre Group” in the memory of Painter, Poet, Film Maker Dilip Chitre)

6/02/2011

Someone has said....

Sometimes it is the person closest to us who must travel the furthest distance to be our friend. ~Robert Brault