"केवल - "1411" , यह नंबर अब सभी को याद हो गया है। ख़ास तौर पर सभी बच्चों को भी! मेरा छोटा बेटा "वात्सल्य" भी अब तो पूछता है - "पापा, उसकी माँ कब आयेगी ? " उसके इस सवाल का मेरे पास कोई ज़वाब नहीं है । आप तो कहते हो, कि आप सब काम कर सकते हो - "तो उसकी माँ को उसके पास ढूँढ कर ला दो ना ...पापा ..."
शायद , हम में से किसी के पास नहीं है मेरे बेटे के इस सवाल का जवाब ।
"Save our Tigers" अभियान के अंतर्गत T.V. पर दिखाई जाने वाली यह छोटी से ह्रदयस्पर्शी फिल्म हम सबको वाकई कुछ सोचने को मजबूर कर जाती है। उस शावक का मासूम चेहरा बहुत देर तक आखों के सामने घूमता रहता है।
मोबाइल कंपनी द्वारा वन्य जीव जंतुओं के जीवन की सुरक्षा के लिए जारी किया गया यह विज्ञापन अत्यंत प्रभावशाली बन गया है। लाजवाब फोटोग्राफी और कबीर बेदी जी की पुरजोर आवाज़ ने विज्ञापन को और भी शानदार बना दिया है। अन्य companies और groups को भी अपने product के साथ इसी प्रकार के सामाजिक और जनहित से जुड़े प्रसंग को शामिल करना चाहिए।
बाघ ही नहीं वरन प्रत्येक जीव- जंतु हमारे लिए महत्वपूर्ण है। प्रत्येक जीव का जीवन अमूल्य है। जब हम किसी को जीवन नहीं दे सकते हैं तो हमें किसी की ज़िन्दगी लेने का भी कोई अधिकार नहीं है। अगर , हमारे बच्चे भी हमें इसी तरह से ढूँढें तो ? आईये, हम सब मिल कर उनके जीवन को बचाने के लिए सार्थक प्रयास करें ।
बाघों को संख्या , यदि इसी तरह कम होती गयी तो वह दिन दूर नहीं हैं जब हम अपने बच्चों को बाघों की सिर्फ तस्वीरें ही दिखा पायेगें।
SHALABH, THIS IS A SPELENDID ARIICLE.....MANU SHARMA " WILD CAT "
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