9/12/2016

गणपति बप्पा मोरया..

गणपति बप्पा मोरया !
मंगल मूर्ति मोरया !

3/29/2016

"रिश्ते "यूज एंड थ्रो" हो गये हैं..."

सच , आज बहुत कुछ बदल गया है । हमारे अहसास बदल गये है । हमारा "आज" "व्यवसायिक हो गया है । किसी की मुस्कराहट भी अब तो "प्लास्टिक" जैसी लगती है ।
कागज़ के फूलों में हम "खुशबू" तलाश रहे हैं। क्यों आज हम लोग बदल गये हैं ?

जब लोग एक-दूसरे से दिल खोल कर मिलते थे और खुल कर हँसते थे, वो खुशनुमा पल कहीं खो गये से लगते हैं।

हमने गले मिलने की सच्चे और सुखद स्पर्श को भुला दिया है और हम "social networking sites" पर एक-दूसरे से "touch" में रहने की बात करते हैं । सच , यह किसी आश्चर्य से कम नहीं ।

किसी के "दुःख" को कम करने की बात तो दूर , किसी अपने को "खुश" देख कर भी लोग "खुश" नहीं हैं । "कैक्टस" से अहसास हो गये हैं। लेकिन हम "कैक्टस" का example भी क्यों दें ?

प्रभु ने हमें मनुष्य रूप प्रदान किया है , यह हम सबका सौभाग्य है । बस "इंसान" बनना है । एक-दूसरे के प्रति संवेदनशील बनना है । बदलाव खुद में ही लाना है ।

इन रिश्तों के सन्दर्भ में यह पंक्तियाँ आपके साथ share करना चाहता हूँ ।

"लोग "संग-दिल" हो गये हैं।
रिश्ते "यूज एंड थ्रो" हो गये हैं।
अपनेपन की तलाश में लोग,
और भी अकेले हो गये हैं।"

अभी भी समय है , अपनापन का अहसास खुद में ही ढूँढना है ।
कभी अकेले में अगर हम खुद से बातें करें तो शायद खुद से भी अपनी नज़रें नहीं मिला पायेगें ।
जिंदगियाँ बदल सकती हैं , "संवेदनशीलता" की असली "खुशबू" को अनुभव करना है ।

"मिलाना है तो दिल से दिल मिला,
यूँ बेमन से हाथ मिलाना ठीक नहीं । "

3/01/2015

"संस्कार भारती मुरादाबाद"

संस्कार भारती मुरादाबाद के तत्वाधान में आयोजित "नाट्य प्रतियोगिता" के बाद वरिष्ठ रंगकर्मी डा० राकेश जैसवाल जी एवं संस्कार भारती के महानगर अध्यक्ष बाबा आकांक्षी जी के संग, प्रतिभागी टीम के सदस्यों को पुरुस्कृत करते हुए.

2/27/2015

"नुक्कड़ नाटक प्रतियोगिता"

संस्कार भारती मुरादाबाद के तत्वाधान में आयोजित "नुक्कड़ नाटक प्रतियोगिता" के दौरान वरिष्ठ रंगकर्मी डा० राकेश जैसवाल जी के संग निर्णायक की भूमिका का निर्वहन करते हुये।
Dated 24th  Feb 2015 , मुरादाबाद ( U.P. )

1/26/2015

Eye Donors Family Members


Eye Donors Family Members in the program... 
Thanks to C.L.Gupta Eye Institute and Moradabad Nagrik Samaj
23rd Jan 2015, Moradabad

1/09/2015

My views in "Hindustan" Newspaper- 9th Jan 15


My views published in Hindustan Hindi Daily News Paper on 9th Jan 2015. 
Thanks a lot Hindustan Moradabad for this article !

10/14/2014

My Parents are alive in someone's eyes..

My mother also donated her eyes after her death on 22 Sept. 2014, like my father. My father did the same on 18 March 2014. My parents are alive in someone’s eyes. Their eyes will be guiding someone's life. With the eyes of my parents, they will see the light of the lamps on this Deepawali festival. It is my absolute belief.

Their sacred task is the message to all of us. Become children of such parents is extremely fortunate and proud for me.

10/11/2014

"माँ ....."

सब पूँछ  रहे हैं "माँ अस्वस्थ थीं क्या", मेरा उनसे यह कहना है "माँ कभी अस्वस्थ होती है क्या" ? बचपन से लेकर आजतक , मैंने उन्हें बस काम ही करते देखा था … ना रुकी कभी ना थकी कभी .... बिना कुछ कहे सब समझ जाना।  सब माँ एक जैसी ही तो होती हैं।  
सच कहते हैं , माता-पिता कहीं नहीं जाते … दुआएं बनकर हमेशा साथ चलते हैं।  जीवन के हर कठिन मोड़ पर संभाल लेते हैं। हर  पल उनके संग होने का  एहसास ही , जीवन को हौसला देता है।  

8/04/2014

"बहुत याद आते हैं किशोर दा ........."

बहुत याद आते हैं किशोर दा ......

हमेशा याद आते रहेंगें....

"ज़िन्दगी कैसी है पहली हाय.... कभी यह हंसाये....
कभी यह रुलाये....एक दिन सपनों का राही ....
चला जाए सपनों से आगे कहाँ......"


7/28/2014

संस्कृति और सभ्यता

आजकल हमारे देश में भी वृद्धाश्रमों और उसमें रहने वालों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। 
ये हम, किस संस्कृति और सभ्यता की ओर जा रहे हैं ?