1/20/2017

"ज़िन्दगी.."

बहुत खूब लिखा है किसी ने,

[१]
वक्त का ख़ास होना ज़रूरी नहीं,
ख़ास लोगों के लिए वक्त होना ज़रूरी है।

[२]
एक बेहतरीन ज़िन्दगी जीने के लिये,
यह स्वीकार करना भी ज़रूरी है ,
कि सब कुछ, सबको नहीं मिल सकता।

1/17/2017

"दो पंक्तियाँ .."

किसी ने क्या खूब कहा है ,

[१] खोये हुए हम खुद हैं और ढूंढते खुदा को हैं।

[२] देखने के लिये इतना सब कुछ होते हुए भी ,
बंद आँखों से देखना भीतर देखना सबसे बेहतर है।



1/12/2017

"ख्वाहिश.."

क्या खूब कहा है किसी ने ,

ख्वाहिश भले छोटी सी हो
लेकिन, उसे पूरा करने के लिये
दिल ज़िद्दी सा होना चाहिये।  

1/11/2017

"वसीयत या विरासत"

किसी ने क्या खूब कहा है,
यह महत्वपूर्ण नहीं  है कि "वसीयत" में हमें क्या मिला है ,
महत्वपूर्ण यह है कि "विरासत" में हम क्या छोड़ कर जा रहे हैं।  

9/12/2016

गणपति बप्पा मोरया..

गणपति बप्पा मोरया !
मंगल मूर्ति मोरया !

3/29/2016

"रिश्ते "यूज एंड थ्रो" हो गये हैं..."

सच , आज बहुत कुछ बदल गया है । हमारे अहसास बदल गये है । हमारा "आज" "व्यवसायिक हो गया है । किसी की मुस्कराहट भी अब तो "प्लास्टिक" जैसी लगती है ।
कागज़ के फूलों में हम "खुशबू" तलाश रहे हैं। क्यों आज हम लोग बदल गये हैं ?

जब लोग एक-दूसरे से दिल खोल कर मिलते थे और खुल कर हँसते थे, वो खुशनुमा पल कहीं खो गये से लगते हैं।

हमने गले मिलने की सच्चे और सुखद स्पर्श को भुला दिया है और हम "social networking sites" पर एक-दूसरे से "touch" में रहने की बात करते हैं । सच , यह किसी आश्चर्य से कम नहीं ।

किसी के "दुःख" को कम करने की बात तो दूर , किसी अपने को "खुश" देख कर भी लोग "खुश" नहीं हैं । "कैक्टस" से अहसास हो गये हैं। लेकिन हम "कैक्टस" का example भी क्यों दें ?

प्रभु ने हमें मनुष्य रूप प्रदान किया है , यह हम सबका सौभाग्य है । बस "इंसान" बनना है । एक-दूसरे के प्रति संवेदनशील बनना है । बदलाव खुद में ही लाना है ।

इन रिश्तों के सन्दर्भ में यह पंक्तियाँ आपके साथ share करना चाहता हूँ ।

"लोग "संग-दिल" हो गये हैं।
रिश्ते "यूज एंड थ्रो" हो गये हैं।
अपनेपन की तलाश में लोग,
और भी अकेले हो गये हैं।"

अभी भी समय है , अपनापन का अहसास खुद में ही ढूँढना है ।
कभी अकेले में अगर हम खुद से बातें करें तो शायद खुद से भी अपनी नज़रें नहीं मिला पायेगें ।
जिंदगियाँ बदल सकती हैं , "संवेदनशीलता" की असली "खुशबू" को अनुभव करना है ।

"मिलाना है तो दिल से दिल मिला,
यूँ बेमन से हाथ मिलाना ठीक नहीं । "

3/01/2015

"संस्कार भारती मुरादाबाद"

संस्कार भारती मुरादाबाद के तत्वाधान में आयोजित "नाट्य प्रतियोगिता" के बाद वरिष्ठ रंगकर्मी डा० राकेश जैसवाल जी एवं संस्कार भारती के महानगर अध्यक्ष बाबा आकांक्षी जी के संग, प्रतिभागी टीम के सदस्यों को पुरुस्कृत करते हुए.

2/27/2015

"नुक्कड़ नाटक प्रतियोगिता"

संस्कार भारती मुरादाबाद के तत्वाधान में आयोजित "नुक्कड़ नाटक प्रतियोगिता" के दौरान वरिष्ठ रंगकर्मी डा० राकेश जैसवाल जी के संग निर्णायक की भूमिका का निर्वहन करते हुये।
Dated 24th  Feb 2015 , मुरादाबाद ( U.P. )

1/26/2015

Eye Donors Family Members


Eye Donors Family Members in the program... 
Thanks to C.L.Gupta Eye Institute and Moradabad Nagrik Samaj
23rd Jan 2015, Moradabad

1/09/2015

My views in "Hindustan" Newspaper- 9th Jan 15


My views published in Hindustan Hindi Daily News Paper on 9th Jan 2015. 
Thanks a lot Hindustan Moradabad for this article !