आपने सही कहा , पहले अपनी मंजिल चुनो । हमें जीवन के सही लक्ष्य का निर्धारण करना है। भाग्य के भरोसे हाथ पर हाथ रखे नहीं बैठना है ।
सफ़र लम्बा सही, मगर चलते जाना है , उस मंजिल तक पहुंचना है जिसके आगे कोई राह ना हो। But no shortcut in life.... मंजिल पर पहुँचने के लिए सही मार्ग को चुनना भी अत्यंत ज़रूरी है। अगर भटक गये तो मंजिल भी खो जायेगी।
परीक्षाओं में अच्छे नंबरों से पास होना है.... उसके लिए वर्ष भर मन लगाकर पढना है .....नक़ल से नहीं पास होना है..... सही मंजिल के लिए सही मार्ग का चुनाव भी बहुत ज़रूरी है.....
हर व्यक्ति में अनंत शक्ति विधमान है बस ज़रूरत है उस शक्ति को जाग्रत करने की जो हमें मंजिल की ओर ले जाए और तक जाने के लिए मार्ग का चुनाव भी सही हो । ताकि मंजिल पर पहुचने के बाद हमें अपने पैरों में पड़े छालों के दर्द का अहसास न हो...
भगवान् भी उसी की मदद करते हैं जो हिम्मत नहीं हारते हैं। अपनी मज़बूत इच्छा शक्ति ओर मंजिल पर पहुँचने के लिए संकल्प व्यक्ति अपने हाथों को लकीरों को भी बदल सकता है।
इन दो पंक्तियों के साथ अपनी बात को अल्प-विराम देना चाहूँगा .....
"जब से चला हूँ , अभी तक सफ़र में हूँ......
मैंने कभी मील का पत्थर नहीं देखा ...."
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