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4/25/2010
इन दो पंक्तियों के साथ....
किसी शायर की लिखी इन दो पंक्तियों से आज अपनी बात आपसे share करना चाहूँगा....
"ये खामोश मिज़ाजी , तुम्हें जीने नहीं देगी।
इस दौर में जीना है , तो कोहराम मचा दो । "
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