"मोटर साइकल" पर , ताऊ जी के साथ चला है।
शानू हमारा , स्कूल चला है।
आने वाले सुनहरे सपनों के फूल,
ज़िन्दगी की माला में पिरोने चला है।"
शानू हमारा , स्कूल चला है।
आने वाले सुनहरे सपनों के फूल,
ज़िन्दगी की माला में पिरोने चला है।"
शानू के स्कूल का नाम हमनें "उत्सव" रखा है। आखों में आत्मविश्वास की नई रौशनी , उसके कोमल हाथों की नन्हीं-नन्हीं उँगलियों का जादुई स्पर्श , बिना देखे ही बहुत कुछ समझने की सुखद अनुभूति.....हमारे घर के लिए किसी "उत्सव" से कम नहीं है। उसका खेलना, दौड़ना, भागना, खिलखिलाकर हँसना ... हमारे घर के आँगन में मानों कोई उत्सव ही तो है।
ना जाने क्यों बार-बार आप सबसे शानू का ज़िक्र कर बैठता हूँ..... उसका होना.... उसका अस्तित्त्व ... ज़िन्दगी के कठिनतम पलों में भी जीने की एक नई राह दिखाता है...
bohat hi pyara aur oorja se bhara dikhta hai Utsav... :) dekhiyega..ye aap sabka naam roshan karega:)
ReplyDeleteshanu behad khoobsoorat bachcha hai..hum sabka naam roshan karega...aap sab behad bhaagyashaali hain jo ye aapke jeevan mein hai shalabh ji...angel hai ye:)
ReplyDeletevivek sharma
प्रिय विवेक जी,
ReplyDeleteसादर नमस्कार!
शानू के लिए कहे गये आपके भावपूर्ण और अपनत्व से परिपूर्ण शब्दों ने हमारे परिवार के हौसले को एक नया आयाम प्रदान किया है...
सच.... आप ने सही कहा है..... सचमुच वह ऐसा ही है।
मैं, अपने परिवार की ओर से आपका ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ....
आपका ही,
शलभ गुप्ता