पुरानी यादें सहारा होतीं हैं जीवन का.... शायद इसी तरह पुरानी लिखी कवितायेँ भी कभी-कभी एक खुशनुमा अहसास दिला जातीं हैं....
अब तो घर पर अपने परिवार के साथ हूँ..... कभी-कभी सोचता हूँ कि कैसे लिख गया यह सब.... क्या दूर रहकर ही यह लिखना संभव हो सका ? शायद दूर रह कर ही ..... है ना....
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