सादर नमस्कार!
बस, इन धडकनों पर मेरा कोई बस नहीं है.... जब तक मेरी साँसें मेरा साथ देंगी.... जब आपसे जुड़ा हूँ तो साथ भी ज़रूर निभाऊंगा...
हम जानते हैं आपका समय बहुमूल्य है.... आज कुछ लम्हों के लिए आपको हम , अपनी छत पर ले चलते हैं... इंकार मत कीजिएगा.... बस मेरे संग-संग छत पर आईये... आप देखना सुबह-सुबह छत पर कौन मेरा इंतज़ार करता है ? आप भी उनसे मिलकर ख़ुशी का अनुभव करेगें।
यह मेरी सुबह की diary का एक पन्ना है... कुछ अपने मन के विचार लिखे हैं.... "मेरी ज़िन्दगी की सुबह शुरू होती है..., जब चिड़ियाँ मेरी छत पर आकर मुझे बुलाती है.....
पूरा लेख मेरे ब्लॉग पर है... आपसे विन्रम अनुरोध है, कृपया मेरे ब्लॉग के इस link पर click करिये ....
http://shalabhguptaviews.blogspot.com/2010/10/blog-post_16.html
शलभ गुप्ता
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