"पहले जितने रिश्ते हैं , पहले उन्हें निभा लें, फिर नये बनायेगें।" जीवन "प्रश्न-उत्तर" का कोई सत्र नहीं हैं, एक अटूट गठबंधन हैं ।
इन पंक्तियों में आपने इस लेख का ही नहीं , वरन पूरे जीवन का सार लिखा है। यही हमारे जीवन का आधार भी है। जिसने , इन बातों को समझ लिया वह जीवन में कभी अकेला नहीं महसूस करेगा और ना ही कभी अकेला रहेगा।
जीवन का मतलब "बिखरना" नहीं है, "बांधना" है सबको, एक साथ एक अटूट बंधन में.....
खुले मन से सबसे मिलना है। अच्छे लोगों के साथ मिल कर चलना है। जीवन जीने के लिए है , मुस्कराते हुए जीना है।
(यह दोनों फूलों की तस्वीरें, आपके घर की lobby / window में रखे हुए गमलों की ही हैं , हैं ना सर जी...) दोनों तस्वीरें अलग-अलग दास्ताँ बयां कर रहीं हैं...
"सही angle" से ही सही और सुन्दर तस्वीर बनती है । " जीवन में भी बस इसी बात को आत्मसात करना है।
खुद को बदलने की सार्थक पहल करते हुए , समाज को भी बदलना है। अगर हम सभी अपनी सोच को बदल कर सही दिशा की ओर चलें , तो यह समाज अपने आप बदल जायेगा । आखिर यह समाज, हम सब से ही तो है।
पढ़े-लिखे मालूम होते हैं आप!
ReplyDeleteहा हा हा....
बुरा मत मानियेगा, मेरी आदत है!
चलिए, समझदारी की बात करते हैं! सही कहा आपने, समाज हमारा की समुच्य है!
आपकी इस सार्थक पहल पर मेरी शुभकामनाएँ!
www.myexperimentswithloveandlife.blogspot.com
खुले मन से सबसे मिलना है। अच्छे लोगों के साथ मिल कर चलना है। जीवन जीने के लिए है , मुस्कराते हुए जीना है।
ReplyDeletesahi baat kahi aapne.
Ashish ji....
ReplyDeleteaapka hraday se bhaut-bhaut aabhar
@ Divya ji : Thanks a lot....
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