कल "कारगिल विजय" को 11 वर्ष बीत गए। हम, आप और सभी भारतवासियों ने अपनी भीगी पलकों के साथ सभी कारगिल के शहीदों को शत-शत नमन करते हुए श्रधांजलि अर्पित की ।
धन्य है हमारी भारत भूमि और धन्य हैं वह माताएँ जिन्होंने ऐसे वीरों को जन्म दिया।
लेकिन, शायद आज 11 बीत जाने के बाद भी हमने "कारगिल युद्घ " से कोई सबक नहीं लिया है। वरना "26/11" जैसी घटनाएँ कभी नहीं होती।
हमारे पड़ोसी मित्र, अगर मिलाना है तो दिल से दिल मिला । यूँ बेमन से हाथ मिलाना ठीक नहीं।
वे मित्रताएं , जहाँ दिल नहीं मिलते हैं , बड़ी ऊँची आवाज से टूटती हैं।
"कारगिल" और "26/11" की घटनाएं इसका ज्वलंत उदाहरणहै।
इतनी "सहनशीलता" और "उदारता" आखिर कब तक ?
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