6/27/2010

"विवेका बाबाजी" के सन्दर्भ में....



क्या जीवन जीना, इतना कठिन हो जाता है कि खुद को ख़त्म करना ही एकमात्र रास्ता बचता है ऐसा क्यों ?
हम सभी एक समाज में रहते हैं... यूँ तो हम सब बस अपने में ही खोये रहते हैं....

पर कभी-कभी कोई बात हमें कुछ सोचने पर मजबूर कर देती हैयह ज़रूरी नहीं कि मरने वाले व्यक्ति से हमारा कोई नाता ही हो

आज
समाज में जो भी कुछ घट रहा है... कहीं ना कहीं एक -दुसरे से जुड़ा हुआ है....

अपनेपन की तलाश , हमें और अकेला कर रही है "रिश्ते" जो एक-दूसरे के विश्वास की नीवं पर बनते हैं... एक दिन वही रिश्ते , रेत की तरह हाथों से फिसल जातें हैं....

मौत
का कारण जो भी रहा हो.... लेकिन आखिर हम कब तक हम अपनी ज़िन्दगी को यूँ ही ख़त्म करते रहेगें ? क्या मर कर ही चैन मिल पायेगा ?

6/22/2010

मेरे घर के आँगन में श्री मद भागवत कथा की अमृत वर्षा



प्रात:काल से लेकर देर रात तक कथा आयोजन के अंतर्गत सेवा कार्य हो रहा है। परन्तु हम में से किसी को भी थकान का अनुभव नहीं हो रहा है। सभी लोग नयी उर्जा और उत्साह से कार्य कर रहे हैं। मानों, कोई अद्रश्य शक्ति हमारे शरीर को संचालित कर रही है। सब कुछ , सब भली प्रकार संपन्न हो रहा है।
घर का वातावरण आध्यात्मिक और ह्रदय को असीम शांति प्रदान कर रहा है। इस सुखद अनुभूति का शब्दों में वर्णन करना, मेरे जैसे आम आदमी के लिए असंभव सा है।
कथा के श्रवण हेतु कई भक्त जन ऐसे भी आ रहे हैं , जो हमारे परिचित भी नहीं थे। लेकिन अब सब हमारे परिवार का अटूट किस्सा बन गये हैं।
हमारे घर का आँगन, मानों किसी मंदिर का एक कोना सा हो गया है। घर के आँगन में श्री मद भागवत कथा की अमृत वर्षा से इस तपन में भी सुख का अनुभव हो रहा है।
हमारा शानू , अत्यंत ही मनोयोग से कथा के मध्य में होने वाले भजनों का आन्नद ले रहा है। हारमोनियम, ढोलक और अन्य वाद्ययंत्रों की आवाजों के घर ही नहीं आसपास का सम्पूर्ण वातावरण गुंजायेमान हो रहा है।
काश, यह वक्त यही ठहर जाए…। और यह सुरमय वातावरण हम सभी के जीवन में हमेशा बना रहे ।
भागवत कथा के पवित्र शब्दों का अविरल धारा प्रवाह , हम सभी को अपने संग-संग बहुत दूर तक ले आया है।
आने वाला समय हम सभी के जीवन में सुख, सम्पन्नता और प्रसन्नता लेकर आये, बस मेरी यही भगवान् से प्रार्थना है।

6/18/2010

श्री मद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ ( 17 June -24 June 2010)

प्रिय विवेक जी,
सादर नमस्कार!
आज दो दिन बाद आपसे बात हो रही है। जैसा कि आपको विदित है 17 June से घर पर श्रीमद भागवत का आयोजन हो रहा है। बस उसी की व्यवस्था में ही व्यस्त हूँ... भगवान् की कृपा से आयोजन ठीक प्रकार हो रहा है।
रिश्तेदारों और मोहल्ले के भी सभी लोगों का आना हो रहा है... घर में खूब चहल-पहल है...
कथा को निरंतर तो सुन नहीं पाता हूँ.... व्यवस्था में ही समय बीत जाता है... फिर भी मन को एक सुखद अनुभूति का अनुभव हो रहा है, इस आयोजन में सहभागिता कर के ।
"अगर आस्था है तो बंद द्वार में भी रास्ता है । "
आपका ही,
शलभ गुप्ता

6/06/2010

"आंसू दिल की बात कह जाते हैं.... "

प्रिय विवेक जी,
जब यह कविता लिखी थी तब भी मेरी आखें नम थी .....और अब आपकी प्रतिक्रिया ने भी मेरी पलकों को भिगो दिया सर जी.....
क्या आंसू दिल की बात कह जाते हैं.... जो बात हम लब्जों से नहीं कह पाते हैं वह सारी बातें हमारे आंसू कह जातें हैं..... मेरा क्या है मैं तो एक मुसाफिर हूँ.....मुझे बस चलते जाना है....
आपका ही,
शलभ गुप्ता

6/05/2010

"My Mistake...."

A man should never be ashamed to say he has been in the wrong, which is but saving in other words, that he is wiser today than he was yesterday।"

मेरे घर का नाम भी "राजू" है.... हम सब में एक "राजू वाल्टर" छुपा है.... गलतियाँ तो होंगी ही.... बस असली इंसान वही है जो अपनी गलती स्वीकार कर लेता है....

"भगवान् की कृपा....."

भगवान् की कृपा और आप सब की शुभकामनाओं से पापा जी का operation सफल रहा। उनकी ख़ुशी उनकी चमकती हुयी आखों में दिखाई दे रही है । पापा जी को चलने और देखने में अब कोई परेशानी नहीं है। इससे अधिक ख़ुशी की बात मेरे लिए और क्या होगी ? घर के सभी लोग खुश हैं....
मुझे, मेरे जन्मदिन का तोहफा 4 जून को ही मिल गया । मुझे और क्या चाहिए ? वैसे कल जन्मदिन है मेरा ।

6/04/2010

आज पापा जी की आखों का ऑपरेशन है....

आज शाम को पापा जी की आखों का operation है... अभी भी पापा जी कह रहे थे ... कि सब ठीक है कोई ख़ास परेशानी नहीं है.... जबकि आखों में मोतियाबिंद होने के कारण से उनको देखने और चलने में परेशानी है....
बहुत मुश्किल था पापा जी को समझाना ..लेकिन अब मान ही गये.... operation छोटा हो या बड़ा ... operation तो operation ही है। 72 years की उम्र हो गयी है... यह पापा जी का पहला operation है ... घर के सभी सदस्य चिंतित हैं.... भगवान् सब ठीक करेगें ।

6/02/2010

a SMS of my younger son....

Yesterday evening, I received a SMS of my younger son “Vatsalya” (12 year). At that time, I was in the market. I would like to share his SMS with you.

SMS : “Hello dad maine apna home work pura kar liya hai, aapko maa ko phone karne ki zarurat nhi hai.. o.k.”

You know sir ji… now-a-days kids are very smart.

6/01/2010

www.charchamanch.blogspot.com

प्रिय विवेक जी,
सादर नमस्कार!
आज एक ख़ुशी की बात आपके साथ share कर रहा हूँ....
एक कविता के ब्लॉग http://www.charchamanch.blogspot.com/ के "साप्ताहिक काव्य मंच" के अंतर्गत मंगलवार दिनांक 1 June 2010 को मेरी एक कविता ""खुले मन से सबसे मिलना चाहिये..." भी प्रस्तुत की गयी है....
आज पूरे दिन यह कविता इस ब्लॉग पर रहेगी.... यह सब आप सबकी शुभकामनाओं से ही संभव हो सका है।
आपका ही,
शलभ गुप्ता