प्रिय विवेक जी,
सादर नमस्कार!
आज दो दिन बाद आपसे बात हो रही है। जैसा कि आपको विदित है 17 June से घर पर श्रीमद भागवत का आयोजन हो रहा है। बस उसी की व्यवस्था में ही व्यस्त हूँ... भगवान् की कृपा से आयोजन ठीक प्रकार हो रहा है।
रिश्तेदारों और मोहल्ले के भी सभी लोगों का आना हो रहा है... घर में खूब चहल-पहल है...
कथा को निरंतर तो सुन नहीं पाता हूँ.... व्यवस्था में ही समय बीत जाता है... फिर भी मन को एक सुखद अनुभूति का अनुभव हो रहा है, इस आयोजन में सहभागिता कर के ।
"अगर आस्था है तो बंद द्वार में भी रास्ता है । "
आपका ही,
शलभ गुप्ता
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