6/22/2010

मेरे घर के आँगन में श्री मद भागवत कथा की अमृत वर्षा



प्रात:काल से लेकर देर रात तक कथा आयोजन के अंतर्गत सेवा कार्य हो रहा है। परन्तु हम में से किसी को भी थकान का अनुभव नहीं हो रहा है। सभी लोग नयी उर्जा और उत्साह से कार्य कर रहे हैं। मानों, कोई अद्रश्य शक्ति हमारे शरीर को संचालित कर रही है। सब कुछ , सब भली प्रकार संपन्न हो रहा है।
घर का वातावरण आध्यात्मिक और ह्रदय को असीम शांति प्रदान कर रहा है। इस सुखद अनुभूति का शब्दों में वर्णन करना, मेरे जैसे आम आदमी के लिए असंभव सा है।
कथा के श्रवण हेतु कई भक्त जन ऐसे भी आ रहे हैं , जो हमारे परिचित भी नहीं थे। लेकिन अब सब हमारे परिवार का अटूट किस्सा बन गये हैं।
हमारे घर का आँगन, मानों किसी मंदिर का एक कोना सा हो गया है। घर के आँगन में श्री मद भागवत कथा की अमृत वर्षा से इस तपन में भी सुख का अनुभव हो रहा है।
हमारा शानू , अत्यंत ही मनोयोग से कथा के मध्य में होने वाले भजनों का आन्नद ले रहा है। हारमोनियम, ढोलक और अन्य वाद्ययंत्रों की आवाजों के घर ही नहीं आसपास का सम्पूर्ण वातावरण गुंजायेमान हो रहा है।
काश, यह वक्त यही ठहर जाए…। और यह सुरमय वातावरण हम सभी के जीवन में हमेशा बना रहे ।
भागवत कथा के पवित्र शब्दों का अविरल धारा प्रवाह , हम सभी को अपने संग-संग बहुत दूर तक ले आया है।
आने वाला समय हम सभी के जीवन में सुख, सम्पन्नता और प्रसन्नता लेकर आये, बस मेरी यही भगवान् से प्रार्थना है।

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