5/30/2011

"कुछ लव कैसा" - एक समीक्षा

सच है, ऐसा ज़िन्दगी में होता है. जब ज़िन्दगी बोझिल सी लगने लगती है,कोई अजनबी आकर अपनेपन का अहसास दिला जाता है। कुछ द्रश्य अत्यंत भावपूर्ण हैं, मेरी पलकों को भिगो गये।
इस भागती- दौड़ती ज़िन्दगी में कुछ समय अपनों के लिए भी रखों दोस्तों, वर्ना अपने भी पराये होते रहेगें , यह रिश्ते भी हाथों से जाते रहेगें ।

यह फिल्म, हम सबकी ज़िन्दगी का ही एक हिस्सा है। एक बार फिर से शैफाली जी,राहुल जी और सुमीत जी को इस सजीव अभिनय के लिए हार्दिक बधाई ,फिल्म की सारी टीम को बहुत-बहुत बधाई ।