10/26/2010

ज़िन्दगी सौ मीटर की रेस नहीं...

"दौड़ने से पहले हमें चलना सीखना है,
ज़िन्दगी सौ मीटर की रेस नहीं ...
बल्कि हजारों किलोमीटर लम्बी एक मेराथन है । "

10/24/2010

नरेश शाडिल्य जी की दो पंक्तियाँ...

" खुद्दारी के कंकड़ भी, हीरों से ऊपर रखना।
लाख बुलंदी पर पहुँचों , खुद को धरती पर रखना "

10/22/2010

आपको "शरद पूर्णिमा" की हार्दिक शुभकामनायें....

प्रिय विवेक जी,
सादर नमस्कार !
आपको "शरद पूर्णिमा" की हार्दिक शुभकामनायें....
आज हमारी sister के यहाँ भगवान् श्री सत्यनारायण जी की कथा हुई । हम सब ने सपरिवार कथा को सुनकर धर्मलाभ प्राप्त किया ।
मुझे पता है , आज आपके घर में भी कथा का आयोजन अवश्य हुआ होगा....
अनगिनित युगों से निरंतर चंद्रमा अपने प्रकाश से हम सभी पर अपनी अमृत वर्षा कर रहें हैं... कभी भी किसी के साथ कोई अन्तर नहीं करते हैं... बस हम ही बदल गये हैं.....
हम सब अपने जीवन में चंद्रमा की शीतलता आत्मसात करें... भगवान् से बस यही प्रार्थना है...
आप भी आज रात का चंद ज़रूर देखना... आज की चांदनी की बात ही कुछ और होगी....है ना॥
आपका ही,
शलभ गुप्ता

10/20/2010

"सफलताओं तक ही जीवन की समग्रता सीमित नहीं ..."

समस्त परिक्षाएँ पास करने और उज्जल भविष्य के निर्माण से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण है एक इंसान की एक इंसान के प्रति संवेदनशीलता जमीन पर गिरे पत्ते और पहाड़ी पर खड़े ऊँचे दरख्तों के प्रति हमारी संवेदनशीलता
सफलताओं तक ही जीवन की समग्रता सीमित नहीं है। जीवन तो एक विशाल नदी और उसकी अपार जलराशि के सामान है। जिसका ना आदि है और ना अंत
तीव्र गति से बहती हुई इस धारा से हम एक बाल्टी जल निकाल लेतें हैं और वह घिरा हुआ सीमित जल ही हमारा जीवन बन जाता है यही हमारा संस्कार है और हमारा अनंत दुःख भी।
वर्षा ऋतु में बूंदों का बरसना, नदियों का कल-कल करके बहना, पक्षियों का चहकना , बच्चों का मुस्कराना बस यही बातें तो सजीव है इस संसार में बाकी सब निर्जीव है।
सूरज की तेज़ तपन में चलते गरीब के नंगे पाँव , रात को फुटपाथ पर सोते बेबस लोग, सिर्फ पानी पीकर दिन भर काम करते हुए लोग, एक वक्त की रोटी के लिए दोनों वक्त काम करते लोग , जिस्म पर पसीने की बूदें मोती जैसी चमकती हुई , बस यही तो एक सच्चाई है इस संसार में बाकी सब झूठ है।
"फुटपाथ पर नंगे बदन, उसे चैन से सोता देख कर,
मखमली गद्दों पर , नींद ना आई मुझे रात भर "

10/19/2010

"मुझे नि:शब्द कर गये हैं........"

प्रिय विवेक जी,
सादर नमस्कार !
आपका मेरे ब्लॉग पर आना और फिर कुछ लिखना... मेरे ह्रदय को एक अटूट भावनात्मक संबंधों की अनुभूति दे गये... आपके यह शब्द उम्रभर के लिए अब मेरी अमूल्य धरोहर हैं....
अपनत्व से परिपूर्ण आपके भावुक शब्द , मुझे नि:शब्द कर गये हैं.... और मेरी पलकों को भी नम कर गये हैं....
लिखना तो बहुत कुछ चाहता हूँ पर आज, मैं इससे अधिक और कुछ नहीं कह पा रहा हूँ... आपसे....
आपका ही,
शलभ गुप्ता

10/18/2010

"जब आपसे जुड़ा हूँ तो साथ भी निभाऊंगा... "

प्रिय विवेक जी,
सादर नमस्कार!
बस, इन धडकनों पर मेरा कोई बस नहीं है.... जब तक मेरी साँसें मेरा साथ देंगी.... जब आपसे जुड़ा हूँ तो साथ भी ज़रूर निभाऊंगा...
हम जानते हैं आपका समय बहुमूल्य है.... आज कुछ लम्हों के लिए आपको हम , अपनी छत पर ले चलते हैं... इंकार मत कीजिएगा.... बस मेरे संग-संग छत पर आईये... आप देखना सुबह-सुबह छत पर कौन मेरा इंतज़ार करता है ? आप भी उनसे मिलकर ख़ुशी का अनुभव करेगें।
यह मेरी सुबह की diary का एक पन्ना है... कुछ अपने मन के विचार लिखे हैं.... "मेरी ज़िन्दगी की सुबह शुरू होती है..., जब चिड़ियाँ मेरी छत पर आकर मुझे बुलाती है.....
पूरा लेख मेरे ब्लॉग पर है... आपसे विन्रम अनुरोध है, कृपया मेरे ब्लॉग के इस link पर click करिये ....
http://shalabhguptaviews.blogspot.com/2010/10/blog-post_16.html

आपका ही,
शलभ गुप्ता
www.shalabhguptaviews.blogspot.com

10/16/2010

"जब मेरी छत पर चिड़ियाँ आकर चहचहाती हैं,,,,"



मेरी सुबह शुरू होती है, जब मेरी छत पर चिड़ियाँ आकर चहचहाती हैं, और धीरे कबूतर भी आकर "गुटरगूं" करते है...इनके साथ-साथ कुछ "कौए" भी जाते हैं.... और मेरा इंतज़ार करते हैं.....

मैं रोजाना ही , अन्य दिनों की तरह अपने हाथ में "बाजरे के दाने " से भरा हुआ जार लेकर छत पर जाता हूँ..... मेरी छत पर एक कमरा भी है जिसमे घर के "चावल " रखे होते हैं... एक -एक मुठ्ठी "चावल" और "बाजरा" अपनी छत की मुंडेर पर रख देता हूँ.... साथ में एक बड़ा कटोरा पानी भरकर रख देता हूँ.....

मन को बहुत सकून देता है यह सब करना.... कई साल से यह क्रम निरंतर चल रहा है.... और फिर एक-एक मुठ्ठी उस मुंडेर के कोने में भी रख देता हूँ... जहाँ हवा का असर कम हो...क्योंकिं कभी-कभी तेज़ हवा से मुंडेर पर रखे सारे दाने बिखर कर नीचे सड़क पर गिर जाते हैं.... दो-मंजिला घर है....

कबूतर और कौए तो शायद कही दूर से आते हैं ....मगर चिड़ियाँ ( गौरया) हमारे पड़ोस वाले घर में जो एक छोटा सा पेड़ है... सब वहीं रहती हैं....



शुरू -शुरू में शौक था.....पर अब एक ज़िम्मेदारी सी महसूस होती है.... रोज जो आते हैं अब वो सब... पक्षी... जिस दिन थोडा लेट हो जाता हूँ.... मन में एक अपराध बोध सा लगता है....

ना जाने कैसे यह मेरा कार्य शुरू हुआ...और अब मेरी ज़िन्दगी की सुबह का अटूट हिस्सा है.... अपनेपन का अहसास दिला जाते हैं... मेरे करीब जाते हैं.... उड़ते भी नहीं हैं...

एक
अटूट नाता सा जो जुड़ गया है इन सबके साथ....
आप सही कहते हैं.... जब हम किसी से जुड़े हैं तो खुले मन से साथ निभाना भी है...है ना...
बस प्रभु से यही चाहता हूँ....यह पक्षियों की टोली हमेशा मेरे घर की छत पर आती रहे... "इंतज़ार और मिलने " की यह परंपरा बस यूँ ही चलती रहे....
मैं इस दुनिया में रहूँ या ना रहूँ.... मेरे जाने के बाद यह ज़िम्मेदारी मेरे बच्चे इसी तरह निभाते रहें.....

10/15/2010

"जब हम जुड़े हैं तो निभाना भी चाहिए..."

जब हम किसी से जुड़े हैं तो निभाना भी चाहिए.... सच कहा आपने.... अगर मिलाना है तो दिल से दिल मिला । यूँ बेमन से हाथ मिलाना ठीक नहीं। वे मित्रताएं , जहाँ दिल नहीं मिलते हैं , बड़ी ऊँची आवाज से टूटती हैं।
हम
लोग हर बात में अपना "फायदा" ही तलाशते हैं... क्यों ? हम क्यों बदल गये हैं ? क्यों ?

हम सभी इस वर्तमान स्थिति को देखकर थोड़े "उदास" ज़रूर हैं... पर "हताश" नहीं हैं..... समय ज़रूर बदलेगा ...और ज़रूर बदलेगा...
जीवन को कल-कल करता हुआ एक झरना बनाना है ठहरा हुआ तालाब का पानी नहीं।

"सिर्फ विस्तार ही नहीं,गहराई भी चाहिये ।
कहना ही पर्याप्त नहीं,बातों में असर भी चाहिये।
सीमाओं से पार आकर,नदिया जैसा उन्मुक्त बहना चाहिये।
"राज", जीवन में सबको अपना बनाना है अगर...
"पोखर" नहीं , "महासागर" बनना चाहिए । "

"निष्काम कर्मयोग की जागृत हो भावनायें ..."

ज़िन्दगी में सबसे महत्पूर्ण बात यह है कि जब हम दूसरों के लिए कोई काम करते हैं....तो उस कार्य के पीछे हमारा कोई व्यक्तिगत स्वार्थ तो नहीं छुपा है ? हम लोग क्यों अपनी सोच को व्यवसायिक करते जा रहे हैं...?
बिना किसी "deal" के क्यों नहीं हम किसी से क्यों नहीं मिलते हैं ?
आज समाज में ऐसे व्यक्तित्व बहुत कम हैं जिन्होंने नि:स्वार्थ भावना के साथ हमें या समाज को कुछ दिया है, और वह भी बिना कुछ पाने कि इच्छा के साथ ।

Few lines of one of my poem....

"जीवन में किसी को , ना कोई कष्ट पहुँचाये ।
पीर परायी जब अपनी बन जाये ।
निष्काम कर्मयोग की जागृत हो भावनायें ।
"प्रेम" और "त्याग" की अंकुरित हो संवेदनायें ।
मेरी नज़र में वही बस "सच्चा कर्म" कहलाये।
आओ, हम सब मिल कर इस धरती को स्वर्ग बनायें । "

हमें खुद को ही बदलना है .....अपनी सोच को बदलना है.... कहीं न कहीं हम खुद भी ज़िम्मेदार हैं इस स्थिति के...
जब हम किसी पर अपनी "एक" ऊँगली उठाते हैं तो बाकि "चार" उँगलियाँ हमारी खुद की तरफ होती है... इसीलिए अभी भी वक्त है हमें खुद को बदलना ही होगा....

10/14/2010

"Saina Nehwal को गोल्ड मेडल...."



भारत का Medals का शानदार शतक ....... सभी भारत वासियों को हार्दिक बधाई.....
Saina Nehwal को गोल्ड मेडल .......... उन्हें बहुत-बहुत शुभकामनायें....
हॉकी
में मिली करारी हार ने सभी का दिल दुखाया था...
पर Saina नेहवाल ने गोल्ड मेडल के साथ सभी देशवासियों का दिल भी जीता है...
शलभ गुप्ता

10/13/2010

"महालक्ष्मी मंदिर ...- मुंबई "



सच कहा आपने .....महालक्ष्मी मंदिर का वातावरण ह्रदय को एक अध्यात्मिक अनुभूति प्रदान करने वाला है....
मैं जब भी मुंबई गया हूँ.... "महालक्ष्मी मंदिर", "सिद्धिविनायक मंदिर" और "हाजी अली" ज़रूर जाता हूँ....
थोड़ी देर के लिए ही सही, हम सब कुछ भूल जाते हैं मंदिर में जाकर....
"
कमल के पुष्प" अर्पण करते हैं....
माँ
के दर्शन करके मन को असीम शांति मिलती है....
माँ सबकी मुरादें पूरी करें.... जय माता दी....

10/11/2010

रविवार का दिन ( 10/10/10)

रविवार का दिन ( 10/10/10) : नवरात्रों की पूजा से दिन की शुरुआत , "सचिन" के 14000 रन , भारत की पाक पर हॉकी में शानदार जीत ( चक दे इंडिया) , मेडल तालिका में फिर से दूसरा स्थान , सब कुछ अच्छा - अच्छा रहा दिन भर ....
और फिर रात में "UTV MOVIES" पर "भूतनाथ" पिक्चर का आना ..... हमारे घर में बच्चों के चेहरे पर खुशियाँ कुछ इस तरह छाईं... "दूध" पर
जैसे आ गयी हो बहुत सारी "मलाई"....
सम्पूर्ण फिल्म में एक पारवारिक फिल्म ... जिस फिल्म में एक साथ अमित जी, शारुख खान जी ओर जूही जी का सशक्त अभिनय है वहीँ "बंकू भैया" ने भी बहुत सजीव अभिनय किया है.... शुरू से अंत तक "बंकू भैया" ही छाए रहे फिल्म में.....
भूतनाथ फिल्म के कई सीन सबको भावुक कर जाते हैं.... "बंकू" भैया का सीड़ियों से गिरना, आत्मा की मुक्ति के लिए घर में पूजा, जहाँ एक ओर उनका मुक्त होना ज़रूरी है वहीँ उनका "बंकू" से बिछुड़ना .....छत पर आकर "बंकू" का भूतनाथ को आवाज़ देकर बुलाना ........
ओर फिल्म का आखिरी सीन , जब फिर दोनों मिलते गले मिलते हैं.... सबसे नीचे दाहिनी तरफ लिखी एक पंक्ति "To be continued......" सभी के होठों पर मुस्कराहट दे जाता है ।
इसी line से "भूतनाथ - 2" की कहानी शुरू होती है..... आपको "भूतनाथ - 2" के लिए शुभकामनायें...
शलभ गुप्ता

10/08/2010

"नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनायें....."



आप सभी को "नवरात्रों" की हार्दिक शुभकामनायें..."
"सबके जीवन में हमेशा सुख, सम्रद्धि और खुशहाली रहे ",
हम सबकी , माँ से बस यही प्रार्थना है। Add Image

10/06/2010

हमारे सभी खिलाड़ियों को दिल से बधाई......

अच्छी ख़बरें, सिन्दूरी सुबह और शानदार दिन लेकर आती हैं।
बहुत दिनों के बाद आज सुबह अखबार पढना अच्छा लगा विवेक जी...
हर newspaper का पहला पन्ना सजा हुआ था, सोने के तमगों वाली तस्वीरों से.....
आगाज़ अच्छा हुआ है..... आशा है अभी और भी बेहतर प्रदर्शन होगा ....
हर तस्वीर एक नयी कहानी कह रही थी.....
हमारे सभी खिलाड़ियों को दिल से बधाई ....
जय हिंद....

10/05/2010

सभी खिलाडियों को हार्दिक बधाई ...

ओलिंपिक गोल्ड मेडल विनर शूटर अभिनव बिंद्रा और गगन नारंग ने भारत को पहला गोल्ड मेडल दिलाते हुए दस मीटर एयर राइफल पेयर्स में खेलों का नया रेकॉर्ड भी बनाया।
भारत को दूसरा गोल्ड अनीसा सैय्यद और सर्नोबत राही ने " 25 मीटर महिला पिस्टल पेयर्स" में दिलाया।
इन सभी खिलाडियों ने भारत का नाम रोशन किया है ।
हमारी "टीम इंडिया" को भी टेस्ट मैच जीतने पर बहुत बधाई .... V.V.S. Laxman ने बचा लिया आज तो....
हमारे ब्लॉग परिवार की ओर से सभी खिलाडियों को हार्दिक बधाई ...