7/20/2009

"जय बम भोले ... जय बम भोले ... जय बम भोले"



आज , आपको एक बार फिर हम "हरिद्वार" ले चलते हैं। आपसे अनुरोध है कि कुछ देर के लिए आप भी मेरे साथ इस यात्रा पर चलें, आपको एक सुखद अनुभूति होगी।

जैसा कि आप जानते हैं कि इस समय सावन के पवित्र सोमवार चल रहे हैं। इस मौके पर "हरिद्वार" से लाखों की संख्या में लोग गंगा से पवित्र जल ले कर आते हैं। कई सौ किलोमीटर की लम्बी पैदल यात्रा करते हुए सोमवार को अपने-अपने शहर के मंदिरों में उस जल से भगवान् शिव का अभिषेक करते हैं।

जी हाँ, आपने बिल्कुल सही पहचाना , मैं आपसे भोले बाबा के भक्तों की बात कर रहा हूँ, जिन्हें हम "काँवरिया" कहते हैं। अपने कन्धों पर गंगा का जल भर कर लाते हैं। "बम भोले" की गूँज से इन दिनों सारे शहरों का वातावरण गुंजायमान रहता है।

बहुत से लोग तो नगें पैर ही चलते रहते हैं। पैरों में छाले पड़ जाते हैं। परन्तु , भक्त अपने कन्धों से "कांवर " भी नहीं उतारते हैं। भोले बाबा के नाम की शक्ति जो उनके साथ चलती रहती है।"आस्था" और "विश्वास" का अद्धभुत संगम हैं ये बाबा के भक्तगण।

भगवा वस्त्र पहने हुए, कंधे पर गंगाजल से भरी हुई "कांवर" और भोले बाबा की गूँज के साथ हरिद्वार से चल कर एक शहर से दूसरे शहर होते हुए भक्तों के बेड़े ह्रदय को अत्यन्त भावुक कर देते हैं। रास्ते में आने वाले शहर की सामजिक और धार्मिक संस्थाएं उनके भोजन की सारी व्यवस्थाएं देखतीं हैं।

भोले बाबा के प्रति भक्तों की भक्ति और समर्पण की भावना को हमारा शत-शत प्रणाम है।

"जय बम भोले"

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