12/26/2010

वजूद की तलाश है , समन्दरों की प्यास है ।
ज़िन्दगी पर शक नहीं, सांसों पर हक़ नहीं ।
सबूत मेरे पास है , वजूद की तलाश है ।
आधे-आधे बंटे हुये थे , दिल के बोझ से दबे हुये थे ।
रात को बाँध लो सरक ना जाये या सुबह से कह दो आज ना आये ।
जाने कैसा मोड़ है ये , ना खुश है ना दिल उदास है ।
वजूद की तलाश है , समन्दरों की प्यास है
टूट कर बिखर गये थे, अपनी नज़र से उतर गये थे ।
तिनका-तिनका तूने समेटा , जिस्म बनाके मुझको लपेटा ।
बिछुड़ कर भी तू जुदा नहीं है कहीं तो तुझ में ख़ास है ।
वजूद की तलाश है , समन्दरों की प्यास है
ज़िन्दगी पर शक नहीं, सांसों पर हक़ नहीं
सबूत मेरे पास है , वजूद की तलाश है

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