8/15/2010

जीवन है, तो चुनौतियाँ तो होंगीं ही ....

प्रिय विवेक जी,
सादर नमस्कार!
लेख की पहली पंक्ति से लेकर आखिरी पंक्ति तक आपने अपने अनुभव को आपने अत्यंत भावपूर्ण शब्दों में अभिव्यक्त किया है..... ज़िन्दगी में होने वाली हर छोटी-बड़ी घटना , एक सिखावन बनती है।
अँधेरे कमरे में, काले Negative द्वारा सुन्दर तस्वीरें बन जाती हैं.... यदि हम कभी वर्तमान में अंधकार का अनुभव करें , तो इसका अर्थ है "कि भगवान् आने वाले कल/ भविष्य के लिए हमारे जीवन की एक सुन्दर और भव्य तस्वीर बना रहें हैं।"
चलते-चलते , अक्सर बाधायें हमारे रास्ते में आ जाती हैं। उन परेशानियों को देखकर हमें रोना नहीं है और ना ही घबराना है। वल्कि, मन को स्थिर करके उस बाधा या परेशानी से पार पाने का उपाय सोचना है। जीवन के कठिन पलों को भी सहज होकर जीना, मुश्किल ज़रूर है मगर असंभव नहीं।
अगर अविश्वास और आशंकाओं के बादल यदि हमारे मस्तिष्क में उमड़ते रहेगें , पानी बनकर हमारी आखों से बहने लगेगें । और हम इस दुनिया की भीड़ में कहीं खो जायेंगें।
मानसिक संतुलन बनाये रखना , प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने का सबसे अच्छा इलाज है। हमारा शांत मन , आशीवाद और शुभकामनाएँ ले कर आता है।
आप सही कहते हैं..... जिंदगी कई बार फिर से शुरू करनी पड़ती है..... जीवन है, तो चुनौतियाँ तो होंगीं ही ....उनका मुस्करा कर सामना करना है।"
परेशानियों और असफलताओं के काले बादल कुछ देर के लिए तो सूरज की रौशनी को रोक सकते है या कम कर सकते हैं॥ लेकिन कुछ समय बाद सूरज को फिर से निकलना ही है।
स्रष्टि का नियम है काली अँधेरी रात के बाद सूर्योदय होना ही है। नयी आशाओं का उजाला हर तरफ बिखरना ही है।
बस काली घनी रात के अँधेरे से घबराना नहीं है। उसका डटकर मुकाबला करना है। क्योंकिं , रात्रि के अंतिम प्रहर के बाद सूर्योदय तो अवश्य ही होना है.......
आपका ही,
शलभ गुप्ता

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