8/08/2009

"श्रेष्ठ जनों की सदभावना"



महाभारत युद्घ का पहला दिन था। दोनों सेनायें आमने- सामने खड़ी थीं। युद्घ बस, होने ही वाला था। तभी सबने देखा कि युधिष्ठर बिना शस्त्र कौरव सेना की ओर बढ़ रहे हैं। कुछ ने सोचा, कहीं युधिष्ठर युद्घ से डर तो नहीं गए। कोई संधि प्रस्ताव लेकर तो नहीं जा रहें हैं।

अर्जुन ने भी भगवान् कृष्ण से पूछा, युधिष्ठर को शत्रु के खेमे में जाने की क्या जरुरत है। श्रीकृष्ण ने कहा , अर्जुन युधिष्ठर ने बड़े गुरुजनों का सम्मान कर आधा संग्राम पहले ही जीत लिया है। कौरवों के बड़े आचार्यों की सदभावना तुम्हारे लिए है। बस धनुष उठाओ और आधा संग्राम भी जीत लो। हम सब जानते हैं कि अंत में जीत पांडवों की ही हुई।


आभार - अमर उजाला समाचार पत्र

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