8/12/2009

"कृष्ण जन्माष्टमी"



श्री कृष्ण भारतीय संस्कृति के मूलाधार हैं। उनकी हर लीला में एक संदेश है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर देश के सभी देवालय कृष्णमय हो जाते हैं।

"सम्पूर्णता का दर्शन" करने के लिए कृष्ण के जीवन को समझना अत्यन्त आवश्यक है। यह जन्माष्टमी मनाना इसलिए भी ज़रूरी है कि हमे याद आये कि अपने भीतर अभी उतना ही अन्धकार है जितना कृष्ण का जन्म होने से पहले उसके माता-पिता के घर में था।

जीवन के सही अर्थों को समझने के लिए मन के अन्दर की जन्माष्टमी को मनाना बहुत ज़रूरी है। यह जन्माष्टमी कौन मना सकता है ? जिसके ह्रदय में कृष्ण चेतना मौजूद हो। कृष्ण यानी एक पूर्ण व्यक्तित्त्व । कृष्ण एक सम्पूर्ण पुरूष जो काम करते हैं पूरा करते हैं, अधूरा कुछ नहीं।

आइये , हम सब मिल कर कृष्ण जन्माष्टमी मनाएँ !


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