5/02/2010

"बस सोच बदलनी है... मन के भावों को बदलना है ..."


सच कहा आपने.... बस सोच बदलनी है... मन के भावों को बदलना है।

देश की सीमा पर, यदि कोई सैनिक जब किसी दुश्मन देश के सिपाही को गोली मार देता है। तब हम उसे सम्मान देतें हैं। और यदि कोई व्यक्ति जब किसी व्यक्ति को मार देता है, तब वह कातिल कहलाता है। तब हम उसे फाँसी पर लटका देतें हैं। कर्म एक ही हुआ , परन्तु दोनों कार्यों के पीछे भाव अलग है।

आतंकवादी "मारा" गया। जवान "शहीद" हुआ। मृत्यू दोनों की हुई, परन्तु दोनों के कर्म के पीछे भावना अलग है।

आदमी कोई भला या बुरा नहीं होता। ना ही उसके कर्म अच्छे या बुरे होते हैं। कर्म तो बस कर्म होता है। हाँ, कर्म के भाव ही उसे अच्चा या बुरा कर देतें हैं। उसके कर्म के पीछे उसकी सोच क्या है ? यह महत्वपूर्ण है। कर्म के भाव ही उसके कार्य को "अच्छा" या "बुरा" कर देतें हैं।

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