7/31/2010

एक जनून ख़ुद में पैदा करना है , किनारे तक पहुँचने का....

भगवान् ने हमें मनुष्य रूप प्रदान किया है। मनुष्य होने के कारण हमें यह स्वतंत्रता मिली है, कि हम अपनी राहें ख़ुद चुनें। जीवन के सही उद्देश्य को समझते हुए ख़ुद का मूल्यांकन करें। जीवन में सकारात्मक विचारों का समावेश और उनका क्रियान्वयन ही सही अर्थों में "हमारी स्वतंत्रता" है। नकारत्मक विचार हमारे पैरों में ज़ंजीर बन कर हमें आगे बढने से रोक लेते हैं। और हमारा जीवन "किंतु-परन्तु" का गुलाम होकर रह जाता है।

जीवन लहरों की तरह है। कुछ लहरें को किनारा मिल जाता है और कुछ लहरें रास्ते में ही दम तोड़ देतीं हैं। जो लोग अपनी मंजिल तक पहुँच जाते हैं, वह "ख़ास" हो जाते हैं। वरना "आम" लोगों की तरह भीड़ में खो जाते हैं।

जब हम जीवन में विषम परिस्थितियों से गुज़र रहे होते हैं। तभी हमें जीवन के वास्तविक अर्थ का पता चलता है।

हमारे जीवन का लक्ष्य क्या है ? हम अपने द्वारा बनाये गए प्रश्नों में उलझ कर रह जाते हैं। हमें इस प्रश्नों की परिधि से बाहर आकर , ख़ुद का आत्ममंथन करना है।

जीवन के कठिन पलों में भी हमें सुख के पलों को तलाश करना है। जीवन में सही रास्ते का चयन करते हुए , अपने जीवन को सार्थक बनाना है।

लहरों की तरह चलना है निरंतर , एक जनून ख़ुद में पैदा करना है , किनारे तक पहुँचने का .... अपनी मंजिल पर पहुँचने के लिए ख़ुद के लिए सही राहें चुनने का ।

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