9/26/2010

"वास्तविक सहयोग वह है जिसमे नि:स्वार्थ भाव जुड़ा है .."

यूँ तो जीवन में "आदान-प्रदान" का सिलसिला चलता रहता है । चाहे यह "आदान - प्रदान " विचारों का हो या किसी वस्तु का ।
लेकिन वास्तविक सहयोग वह है जिसमे नि:स्वार्थ भाव जुड़ा है ।
एक सही विचारधारा , सारे समाज को बदल सकती है । आज भी कई लोग ऐसे हैं जो किसी ना किसी माध्यम से समाज को एक नया सन्देश दे जाते हैं। कुछ सिखा जाते हैं।
"आभार" शब्द का मतलब समझे बिना हमारा सारा जीवन व्यर्थ है ।
किसी के प्रति कृतज्ञता की भावना हमें यह अनुभव कराती है , कि उस व्यक्ति विशेष ने हमें नि:स्वार्थ भावना से कुछ दिया है ।
"आसाम" से साइकिल पर आ रहा वह "युवा", जुहू जंक्शन पर खड़ा वह "व्यक्ति", रेलवे ट्रैक पर आपको बचाने वाले वह "बुजुर्ग व्यक्ति "।
हम सबको ऐसे ही व्यक्तित्व का सच्चे मन से आभार व्यक्त करना चाहिए , जिन्होंने नि:स्वार्थ भावना के साथ हमें या समाज को कुछ दिया है, और वह भी बिना कुछ पाने कि इच्छा के साथ ।

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