2/22/2010

एक बोध कथा

एक रात भयंकर तूफान आया । सैकड़ों विशालकाय पेड़ धराशायी हो गये। अनेक किशोर वृक्ष भी थे जो बच तो गये थे पर बुरी तरह सकपकाये खड़े थे । उसमें नन्हीं दूब भी थी ।

प्रात: काल सूर्य ने अपनी रश्मियाँ धरती पर बिखेरी , डरे हुए पौधों को देख कर किरणों ने पूछा "तुम सब इतने सहमे - सहमे से क्यों हों ? "

किशोर पौधों ने कहा -" देवी किरणों , ऊपर देखो हमारे कितने पुरखे धराशायी पड़ें हैं। रात के तूफान ने उन्हें उखाड़ फेंका । ना जाने कब यही स्थिति हमारी भी आ बने । "

किरणें हंसी और पौधों से बोलीं , आओ इधर देखो ये पेड़ तूफान के कारण नहीं बल्कि जड़ें खोखलीं हो जाने के कारण गिरे हैं, तुम अपनी जड़ें मज़बूत रखना । तुम्हारा कुछ नहीं बिगड़ेगा।

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