1/12/2010

स्वामी विवेकानंद जी जन्म दिवस - 12 जनवरी 2010



आज स्वामी विवेकानंद जी के जन्मदिवस पर उनके महान व्यक्तित्व को स्मरण करता हूँ। अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उन्हें शत: शत : नमन करता हूँ।
स्वामी जी एक देशभक्त और उच्च कोटि के महात्मा ही नहीं वरन एक श्रेष्ठ कवि भी थे। उनकी हर कविता में जीवन का सन्देश है। जो हमारा पथ-प्रदर्शक बनकर हमें जीवन के सही मूल्य का ज्ञान कराता है।
आज इस महत्वपूर्ण दिवस पर उनकी द्वारा लिखी एक कविता "Hold on yet a while brave heart" को आप सबके साथ share करने की अनुमति चाहता हूँ।
एक प्रसंग में स्वामी जी ने यह कविता खेतड़ी के महाराज को लिखी थी। उनकी यह कविता मुझे सर्वाधिक प्रिय है। इस कविता का हर शब्द हम सबको जीवन में प्रेरणा प्रदान करने वाला है।
इस कविता का शीर्षक है : "धीरज रखो तनिक और हे वीर ह्रदय !"
"भले ही तुम्हारा सूर्य बादलों से ढक जाये
आकाश उदास दिखाई दे,
फिर भी धैर्य धरो कुछ हे वीर ह्रदय,
तुम्हारी विजय अवश्यम्भावी है !
शीत के पहले ही ग्रीष्म आ गया,
लहर का दबाव ही उसे उभारता है।
धूप- छाँव का खेल चलने दो,
और अटल बनो , वीर बनो !
जीवन में कर्त्तव्य कठोर है,
सुखों के पंख लग गये हैं,
मंजिल दूर, धुंधली सी झिलमिलाती है,
फिर भी अन्धकार को चीरते हुए बढ़ जाओ,
अपनी पूरी शक्ति और सामर्थ के साथ !
कोई कृति खो नहीं सकती और
न कोई संघर्ष व्यर्थ जायेगा ,
भले ही आशायें क्षीण हों जाएँ,
और शक्तियां जवाब दे दें !
हे वीरात्मन, तुम्हारे उत्तराधिकारी
अवश्य जनमेगें ,
और कोई सत्कर्म निष्फल न होगा !
यद्धपि भले और ज्ञानवान कम ही मिलेंगें,
किन्तु, जीवन की बागडोर उन्हीं के हाथ में होगी,
यह भीड़ सही बातें देर से समझती है,
तो भी चिंता न करो, मार्ग - प्रदर्शन करते जाओ!
तुम्हारा साथ वे देंगें, जो दूरदर्शी हैं,
तुम्हारे साथ शक्तियों का स्वामी है,
आशीषों की वर्षा होगी तुम पर,
ओ महात्मन ,
तुम्हारा सर्वमंगल हो !

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