10/15/2010

"जब हम जुड़े हैं तो निभाना भी चाहिए..."

जब हम किसी से जुड़े हैं तो निभाना भी चाहिए.... सच कहा आपने.... अगर मिलाना है तो दिल से दिल मिला । यूँ बेमन से हाथ मिलाना ठीक नहीं। वे मित्रताएं , जहाँ दिल नहीं मिलते हैं , बड़ी ऊँची आवाज से टूटती हैं।
हम
लोग हर बात में अपना "फायदा" ही तलाशते हैं... क्यों ? हम क्यों बदल गये हैं ? क्यों ?

हम सभी इस वर्तमान स्थिति को देखकर थोड़े "उदास" ज़रूर हैं... पर "हताश" नहीं हैं..... समय ज़रूर बदलेगा ...और ज़रूर बदलेगा...
जीवन को कल-कल करता हुआ एक झरना बनाना है ठहरा हुआ तालाब का पानी नहीं।

"सिर्फ विस्तार ही नहीं,गहराई भी चाहिये ।
कहना ही पर्याप्त नहीं,बातों में असर भी चाहिये।
सीमाओं से पार आकर,नदिया जैसा उन्मुक्त बहना चाहिये।
"राज", जीवन में सबको अपना बनाना है अगर...
"पोखर" नहीं , "महासागर" बनना चाहिए । "

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