10/24/2010

नरेश शाडिल्य जी की दो पंक्तियाँ...

" खुद्दारी के कंकड़ भी, हीरों से ऊपर रखना।
लाख बुलंदी पर पहुँचों , खुद को धरती पर रखना "

No comments:

Post a Comment