4/04/2010

"एक दिन सपनों का राही..."

ज़िन्दगी कैसी है पहेली हाय ..... कभी यह हसायें कभी यह रुलाये....

एक दिन सपनों का राही .....चला जाये सपनों से आगे कहाँ....... ज़िन्दगी.......

सब साथ छूट जातें हैं...... कुछ लोग याद रह जातें हैं......

No comments:

Post a Comment