4/11/2010

"रात्रि के अंतिम प्रहर के बाद, सूर्योदय तो अवश्य ही होना है.."



हमारा शानू अब स्कूल जाने लगा है। हम सभी उसके स्कूल के बारे में चिंतित थे। वैसे स्कूल तो New Delhi और Dehradun में हैं। अब हमारे छोटे से शहर में भी इस तरह का एक स्कूल शुरू हो गया है। कई सारे बच्चे हैं उस स्कूल में..... ब्रेल लिपि द्वारा पढाई होती है.... उसे नये दोस्त मिल गये हैं स्कूल में....... अपने छोटे से घर के आँगन से निकल कर अब वह स्कूल के खुले मैदान में सांस लेता है।

शानू ख़ुशी-ख़ुशी रोज स्कूल जाता है.... एक नया संसार है वहां पर उसके लिए.....मैं ही उसको स्कूल छोड़ने जाता हूँ.... एक नया अध्याय शुरू हुआ है उसके लिए... हमें पता है उसका स्कूल जाना , पढना, नये दोस्तों से मिलना और बातें करना.... ( अपने शानू जैसे कई सारे बच्चे हैं वहां पर....) उसके जीवन के लिए एक नया सूर्योदय है।
कुछ ही दिनों में बहुत समझदार जो हो गया है वह। Sunday को भी स्कूल जाना चाहता है.... अब तो... आज भी सुबह से ही मुझसे कहने लगा ..."ताऊ जी , मुझे आप स्कूल ले चलिए...."

आप देखना , वह अपनी मंजिल पाकर रहेगा.... उसके जीवन में सूर्योदय होकर रहेगा....
उसके स्कूल जाने से शानू के पापा ( मेरा छोटा भाई) भी बहुत खुश है.....कुछ दवाइयाँ , थोड़ी काउंसलिंग और शानू का स्कूल जाना ... इन तीनो बातों से उसमें बहुत परिवर्तन हो गया है... अपनी normal life में वापस आने लगा है। मेरा मानना है यह सारी बातें उसके निराशा से भरे जीवन में खुशियों का एक नया सूर्योदय लेकर आयीं हैं।
घर के सभी सदस्य भी बहुत खुश हैं..... सबसे ज्यादा ख़ुशी मुझे है मेरा भाई के परिवार में अब खुशियाँ लौटने लगी हैं...
परेशानियों और असफलताओं के काले बादल कुछ देर के लिए तो सूरज की रौशनी को रोक सकते है या कम कर सकते हैं॥ लेकिन कुछ समय बाद सूरज को फिर से निकलना ही है। क्योंकिं सूर्योदय तो हो चूका है, आशाओं के पंछी चहचहाने लगे हैं।

निराशा से भरे अँधेरे कमरों में सूरज की किरणें पहुँचने वाली हैं। बस , कमरों की खिड़कियाँ और दरवाजे खोलने भर की बात है। हर तरफ प्रकाश ही प्रकाश बिखर रहा है।
समय बदलने लगा है और ज़रूर बदलेगा.... स्रष्टि का नियम है काली अँधेरी रात के बाद सूर्योदय होना ही है। नयी आशाओं का उजाला हर तरफ बिखरना ही है। सचमुच, ब्रह्माण्ड में कई सूरज हैं.... बस उनको ढूंढना बाकी है....

सच कहा आपने ! हर दिन नया सूरज... नया सूर्योदय... नयी किरणें.... एक नयी सुबह... नयी रौशनी.... नयी मंजिलें ... नयी राहें....नयी आशायें.... नया संसार.....नये लोग .....नये विचार......

बस काली घनी रात के अँधेरे से घबराना नहीं है। उसका डटकर मुकाबला करना है। क्योंकिं , रात्रि के अंतिम प्रहर के बाद सूर्योदय तो अवश्य ही होना है.......

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