4/28/2010

श्रवण कुमार से हुई मुलाकात...

आज सुबह ९:३० बजे करीब मैं , शानू को Bike पर स्कूल छोड़ने जा रहा था। रास्ते में मुझे एक व्यक्ति सामने से आता हुआ दिखाई दिया। वह व्यक्ति अपनी बीमार माँ को अपने कंधे के सहारे , गोदी में उठाये चला आ रहा था। भीड़ भरी सड़क पर भी वह शख्स सबसे अलग पहचान बनाये हुए था। जिस माँ की गोदी में बचपन बीता था, आज उसी का वह सहारा बना था।

बड़ी -बड़ी गाड़ियों के होर्न की आवाज़ को अनसुना कर, वह अपने गंतव्य स्थान की तरफ तेज़ कदमों से बढ़ा चला जा रहा था। अपनी माँ को किसी Doctor को दिखाने जा रहा था । उसके कदमों की तेज़ गति ने मेरी Bike की गति धीमी कर दी थी।

यूँ तो उस अजनबी व्यक्ति से मेरा कुछ रिश्ता तो नहीं था, पर मेरा मन कुछ दूर तलक उसके साथ चलने को कह रहा था।

तभी शानू ने कहा ---" ताऊ जी , मोटर साइकिल चलाओ, मुझे स्कूल जाना है.... देर हो जायेगी । और फिर में अपनी Bike को स्टार्ट कर स्कूल की ओर चल पड़ा ।

मेरे दिमाग में २० साल पहले की बातें एक-एक करके सब याद आने लगी.... जब मैं भी अपनी बीमार दादी जी को इसी तरह हॉस्पिटल में दिखाने जाया करता था...

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