4/25/2010

"मिटा कितने ही तू निशान ....."

प्रिय विवेक जी,
"उठा तू रेत के तूफान ....
मिटा कितने ही तू निशान ...
उभर के फिर भी आऊँगा"
वाह बहुत खूब विवेक भाई..... आपका जवाब नहीं आप लाजवाब हैं..... मन के अंतर्मन में समां गई यह पंक्तियाँ .....
सब कुछ ठीक होगा....
Bobby ji ... अपनी आखें खोलिए..... अब आप कैसे हैं....
जूही दीदी , विवेक जी और हम सब आपसे बातें करना कहते हैं.....
शलभ गुप्ता

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